Top Shiv chaisa Secrets
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जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
अर्थ: हे भगवन, देवताओं ने जब भी आपको पुकारा है, तुरंत आपने उनके दुखों का निवारण किया। तारक जैसे राक्षस के उत्पात से परेशान देवताओं ने जब आपकी शरण ली, आपकी गुहार लगाई।
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
शनिदेव मैं सुमिरौं तोही। विद्या बुद्धि ज्ञान दो मोही॥ तुम्हरो नाम अनेक बखानौं। क्षुद्रबुद्धि मैं जो कुछ जानौं॥
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा Shiv chaisa ।
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
पाठ करे सो पावन हारी ॥ पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ किया उपद्रव more info तारक भारी ।
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥